Header Ads Widget

Ticker

6/recent/ticker-posts

10th संस्कृत अष्टम पाठ कर्मवीर कथा



पाठ-परिचय–प्रस्तुत पाठ कर्मवीर कथा' में परिश्रम के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया है। लेखक का कहना है कि आज तक संसार में वही पूज्य अथवा शीर्ष पद पर आसीन हुआ है जिन्होंने लक्ष्य प्राप्ति के लिए दिन-रात एक कर दिया। परिश्रम जीवन की मूल शक्ति है। इसके लिए जाति-पाति, ऊँच-नीच आदि का कोई मूल्य नहीं होता। परिश्रम के बल पर कोई भी जीवन-संग्राम में विजय प्राप्त कर सकता है। अब्राहम लिंकन, भीमराव अम्बेदकर, कर्पूरी ठाकुर आदि इसके ज्वलंत प्रमाण है। लिंकन परिश्रम के बल पर अमरीका का राष्ट्रपति बना तो अम्बेदकर संविधान सभा के अध्यक्ष और कर्पूरी ठाकुर बिहार के मुख्यमंत्री बने। तात्पर्य यह कि जीवन में सफलता की प्राप्ति परिश्रम से होती है। अतएव हर व्यक्ति को अपने सुखमय जीवन के लिए परिश्रम करना चाहिए।

मूल पाठ : 

(पाटेऽस्मिन समाजे ..... प्रभवेत्)

हिदी - इस पाठ में समाज के दलित ग्रामवासी पुरुष की कथा है। यह कर्मवीर अपने उत्साह से विद्या प्राप्त कर महान् पद लाभ किया और समाज में सर्वत्र समाद्रित हुआ। कथा का उद्देश्य है कि निराश न होकर उत्साहपूर्वक मनुष्य सब कुछ कर सकता है।

मूल पाठ : 

अस्ति विहारराज्यस्य दुर्गमप्राये प्रान्तरे 'भीखनटोला' नाम ग्रामः । निवसन्ति म तत्रातिनिर्धनाः शिक्षाविहीनाः क्लिष्टजीवनाः जनाः । तेष्वेवान्यतमस्य जनस्य परिवारो ग्रामादं बहि:स्थितायां कुट्यां न्यवसत्। कुटी तु जीर्णप्रायत्वात् परिवारजनान् आतपमात्राद् रक्षति, न वृष्टेः । परिवारे स्वयं गृहस्वामी, तस्य भार्या तयोरेकः पुत्रः कनीयसी दुहिता चेत्यासन्।

हिन्दी :-

बिहार राज्य के प्रायः दुर्गम अंचल में 'भीखनटोला' नाम का गाँव है। वहाँ अत्यन्त निर्धन, शिक्षाहीन कठिनता से जीवन व्यतीत करनेवाले लोग रहते थे। उनमें बहुत लोगों का परिवार गाँव से बाहर कुटी बनाकर रहते थे। कुटी तो जीर्ण-शीर्ण होने के कारण उन परिवार के लोगों के मात्र धूप से ही रक्षा करती थी वर्षा से नहीं। परिवार में स्वयं गृहस्वामी, उसकी पत्नी, उन दोनों के पुत्र और उससे छोटी लड़की थी

मूल पाठ : 

तस्माद् ग्रामात् क्रोशमात्र दूरं प्राथमिको विद्यालयः प्रशासनेन संस्थापितः। तत्रैको नवीनदृष्टिसम्पन्नः सामाजिक-सामरस्यरसिक: शिक्षक समागतः । भीखनटोलां द्रष्टुमागतः स कदाचित् खेलनरतं दलितबालकं विलोक्य तस्यापातरमणीयेन स्वभावेनाभिभूतः । शिक्षकं बालकमेनं स्वविद्यालयमानीय स्वयं शिक्षितुमारभत। बालकोऽपि तस्य शिक्षणशैल्याकृष्टः शिक्षाकर्म जीवनस्य परमा गतिरिति मन्यमानो निरन्तरमध्यवसायेन विद्याधिगमाय निरतोऽभवत् । क्रमशः उच्चविद्यालयं गतस्तस्यैव शिक्षकस्याध्यापनेन स्वाध्यवसायेन च प्राथम्यं प्राप । 'छात्राणामध्ययनं तपः' इति भूयोभूयः स्वविद्यागुरुणोपदिष्टोऽसौ बालकः पित्रोरर्थाभावेऽपि छात्रवृत्त्या कनीयश्छात्राणां शिक्षणलब्धेन धनेन च नगरगते महाविद्यालये प्रवेशमलभत ।

हिन्दी:-

उस गाँव से एक कोस मात्र की दूरी पर प्रशासन के द्वारा एक प्राथमिक विद्यालय स्थापित किया गया । वहाँ नवीन विचारधाराओं से सम्पन्न और सामाजिक समरसता स्थापित करनेवाला एक शिक्षक आया । वह कभी भीखनटोला देखने के लिए आया । खेल में संलग्न एक दलित बालक को देखकर उसका अत्यन्त रमणीय स्वभाव से अभिभूत हो गया । इस बालक को शिक्षक ने अपने विद्यालय में लाकर स्वयं पढ़ाना शुरू कर दिया। बालक भी उसका शिक्षण-शैली से आकर्षित होकर शिक्षा ही जीवन की परमगति है, नित्य परिश्रमपूर्वक अध्ययन में संलग्न हो गया। क्रमशः उच्च विद्यालय जाकर उस शिक्षक के अध्यापन से और स्वाध्याय से प्रथम स्थान प्राप्त कर लिया। "छात्रों का अध्ययन ही तपस्या है" ऐसा पुनः पुनः अपने शिक्षक के द्वारा ऐसा उपदेश देने पर ही यह बालक पिता के अर्थाभाव रहने पर भी छात्रवृत्ति से और छोटे-छोटे बच्चों को पढ़ाकर। प्राप्त धन से शहर के महाविद्यालय में प्रवेश पा लिया ।

मूल पाठ : 

तत्रापि गुरुणां प्रियः सन् सततं पुस्तकालये स्ववर्गे च सदावहितचेतसा अकृतकालक्षेपः स्वाध्यायनिरतोऽभूत् । महाविद्यालयस्य पुस्तकागारे बहूनां विषयाणां पुस्तकानि आत्मसादसौ कृतवान्। तत्र स्नातकपरीक्षायां विश्वविद्यालये प्रथमस्थानमवाप्य स्वमहाविद्यालयस्य ख्यातिमवर्धयत्। सर्वत्र रामप्रवेशराम इति शब्दः श्रूयते स्म नगरे विश्वविद्यालयपरिसरे च। नाजानतां पितरावस्य विद्याजन्यां प्रतिष्ठाम् ।

हिन्दी :-

वहाँ भी शिक्षक का प्रिय बन गया है और बिना समय बर्बाद है किये पुस्तकालय में तथा अपने वर्ग में स्वाध्याय निरत हो गया। महाविद्यालय का पुस्तकालय में बहुत से विषयों के पुस्तकों को यह आत्मसात् कर लिया। वहाँ स्नातक परीक्षा में सम्पूर्ण विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त कर अपने महाविद्यालय की ख्याति बढ़ाया। शहर में और विश्वविद्यालय परिसर में सभी जगह रामप्रवेश राम ऐसा शब्द सुना जाता था। इसके माता-पिता विद्या से उत्पन्न प्रतिष्ठा को नहीं जानते थे ।

मूल पाठ : 

वर्षान्तरेऽसौ केन्द्रीयलोकसेवापरीक्षायामपि स्वाध्यवसायेन व्यापकविषयज्ञानेन च उन्नतं स्थानमवाप । साक्षात्कारे च समितिसदस्यास्तस्य व्यापकेन ज्ञानेन, तत्रापि तादृशे परिवारपरिवेशे कृतेन श्रमेणाभ्यासेन च परं प्रीताः अभूवन् ।

हिन्दी :-

वर्ष के अन्दर ही यह केन्द्रीय लोक सेवा परीक्षा में । भी स्वाध्याय और व्यापक विषय ज्ञान के कारण उन्नत स्थान पाया | साक्षात्कार में समिति के सदस्यों ने उसके व्यापक ज्ञान से और वह भी उस प्रकार के पारिवारिक परिवेश में उसका श्रम और अभ्यास से बहुत प्रसन्न हुए।

मूल पाठ : 

अद्य रामप्रवेशरामस्य प्रतिष्ठा स्वप्रान्ते केन्द्रप्रशासने च प्रभूता वर्तते । तस्य प्रशासनक्षमतां संकटकाले च निर्णयस्य सामर्थ्य  सर्वेषामावर्जके वर्तेते । नूनमसौ कर्मवीरो व्यतीत्य बाधाः प्रशासनकेन्द्रे लोकप्रियः संजातः । सत्यमुक्तम् - उद्योगिनं पुरुषसिंहमुपैति लक्ष्मीः ।

हिन्दी-

आज रामप्रवेश राम की प्रतिष्ठा अपने प्रान्त में और केन्द्र शासन में बहुत है। उसकी प्रशासन क्षमता और संकट के समय निर्णय लेने का सामर्थ्य सबों को आश्चर्य में डालने वाला है। निश्चित रूप से यह कर्मवीर बाधाओं से लड़नेवाला केन्द्र के प्रशासन में लोकप्रिय हो गया। सत्य ही कहा गया है-"उद्योगी पुरुष सिंह के पास ही लक्ष्मी आती है।

प्रश्न 1. कर्मवीर ने कौन सा पद प्राप्त किया ?

उत्तर - महत्तम पद 

प्रश्न 2. दलितों ने हिंदू समाज का तिरस्कार कर क्या किया ?

उत्तर - धर्मांतरण 

प्रश्न 3. नवीन दृष्टि संपन्न शिक्षक कहां पहुंचे ?

उत्तर - भीखन टोला 

प्रश्न 4. कर्मवीर रामप्रवेश राम के परिवार के सदस्यों की कुल संख्या कितनी थी ?

उत्तर - 4 

प्रश्न 5. 'उद्योगिइनं पुरुषसिंहमुपैति लक्ष्मी' यह उक्ति किस पाठ से संकलित है ?

उत्तर - कर्मवीर कथा 

प्रश्न 6. रामप्रवेश राम ने किस परीक्षा में विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त किया था ?

उत्तर - स्नातक की परीक्षा में 

प्रश्न 7. उद्योगी पुरुष के पास कौन आ जाती है ?

उत्तर - लक्ष्मी 

प्रश्न 8. कर्मवीर कथा समाज के किस वर्ग की कथा है ?

उत्तर - दलित 

प्रश्न 9. भीखन टोला देखने कौन आए ?

उत्तर - शिक्षक 

प्रश्न 10. स्नातक परीक्षा में रामप्रवेश ने विद्यालय में कौन सा स्थान प्राप्त किया ?

उत्तर - प्रथम 

प्रश्न 11. परिश्रमी पुरुष को कौन वरन करती है ?

उत्तर - लक्ष्मी 

प्रश्न 12. भीखन टोला किस प्रांत में है ?

उत्तर - बिहार 

प्रश्न 13. किसके अर्थाभाव में भी रामप्रवेश ने महाविद्यालय में प्रवेश पाया ?

उत्तर - पिता के 

प्रश्न 14. शिक्षक ने किसे पढ़ाना प्रारंभ किया ?

उतर - रामप्रवेश राम को 

प्रश्न 15. कबीर कहां का रहने वाला था ?

उत्तर - भीखन टोला 

प्रश्न 16. स्नातक परीक्षा में प्रथम स्थान पाकर किसकी ख्याति बढ़ी ?

उतर - रामप्रवेश राम की

प्रश्न 17. हिंदू समाज को छोड़कर किसने धर्मांतरण अपनाया ?

उत्तर - दलित 

प्रश्न 18. दलित पुरुष का नाम क्या था ?

उत्तर - रामप्रवेश राम 

प्रश्न 19. कर्मवीर रामप्रवेश राम ने किस परीक्षा में उच्च स्थान प्राप्त किया ?

उत्तर - केंद्रीय लोकसेवा 

प्रश्न 20. कर्मवीर कौन था ?

उत्तर - रामप्रवेश राम 

प्रश्न 21. लक्ष्मी किस प्रकार के व्यक्ति के पास आती है ?

उत्तर - उद्योगी के पास 

प्रश्न 22. किसकी ख्याति सभी जगह गूँजने लगी ?

उत्तर - रामप्रवेश राम 

प्रश्न 23. कर्मवीर रामप्रवेश राम के कहां उन्नत स्थान पाया ? 

उत्तर - केंद्रीय लोकसेवा परीक्षा में 

प्रश्न 24. बालक किसके शिक्षण शैली से आकृष्ट हुआ ?

उत्तर - शिक्षक के 

इस तरह के अन्य पोस्ट पढ़ने के लिए, दिए गए लिंक पर click करें !

10th Sanskrit (संस्कृत)

Chapter 1 मङ्गलम्  click here!

Chapter 2 पाटलिपुत्रवैभवम्  click here!

Chapter 3 अलसकथा  click here!

Chapter 4 संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः  click here!

Chapter 5 भारतमहिमा  click here!

Chapter 6 भारतीयसंस्काराः  click here!

Chapter 7 नीतिश्लोकाः  click here!

Chapter 8 कर्मवीर कथा  click here!

Chapter 9 स्वामी दयानन्दः  click here!

Chapter 10 मंदाकिनीवर्णनम्  click here!

Chapter 11 व्याघ्रपथिककथा  click here!

Chapter 12 कर्णस्य दानवीरता  click here!

Chapter 13 विश्वशान्तिः  click here!

Chapter 14 शास्त्रकाराः  click here!


Post a Comment

0 Comments