प्रश्न 1. प्रकाश क्या है ?
उत्तर- प्रकाश एक प्रकार की ऊर्जा है जिसकी सहायता से हम किसी वस्तु को देख सकते हैं
प्रश्न 2. प्रकाश स्रोत किसे कहते हैं ?
उत्तर - जिस वस्तु से प्रकाश निकलता है उसे प्रकाश स्रोत कहते हैं
प्रश्न 3. प्रदीप्त या दीप्तिमान वस्तुएं किसे कहते हैं ?
उत्तर -जो वस्तुएं प्रकाश उत्सर्जित करती है, उसे प्रदीप्त या दीप्तिमान वस्तुएं कहते हैं
जैसे - सूर्य, तारे, बिजली का जनता बल्ब, मोमबत्ती, टॉर्च, इत्यादि
प्रश्न 4. अप्रदीप्त वस्तुएं किसे कहते हैं ?
उत्तर- जो वस्तुएं प्रकाश उत्सर्जित नहीं करती है, उसे अप्रदीप्त वस्तुएं कहते हैं
जैसे - टेबल , कुर्सी , पुस्तक , पौधा , इत्यादि
बिंदुओं से या टूटी रेखाओं से दिखाया जाता है।
प्रश्न 5. प्रकाश का प्रकीर्णन क्या है ?
उत्तर- प्रकाश (जैसे—सूर्य से आता प्रकाश) जब सूक्ष्मकणों (जैसे-वायु के अणुओं या धूलकणों) पर पड़ता है, तो वे कण उनपर पड़नेवाले प्रकाश की कुछ ऊर्जा को अवशोषित(absorb) कर फिर उसे चारों ओर विकिरित करते हैं। इस प्रक्रिया को प्रकीर्णन (scattering) कहा जाता है।
प्रश्न 6. प्रकाश की किरणें किसे कहते है।
उत्तर -एक सरल रेखा पर चलनेवाले प्रकाश को प्रकाश की किरण (ray) कहते हैं।
प्रश्न 7. प्रकाश का किरणपुंज (beam) कहते हैं।
उत्तर - प्रकाश की किरणों के समूह को प्रकाश का किरणपुंज (beam) कहते हैं।
मुख्यत: किरणपुंज तीन प्रकार के होते हैं
(a) अपसारी किरणपुंज (diverging beam),
(b) समांतर किरणपुंज (parallel beam) और
(c) अभिसारी किरणपुंज (converging beam)।
प्रश्न 8. अपसारी किरणपुंज किसे कहते हैं ?
उत्तर - इस किरणपुंज में प्रकाश की किरणें एक बिंदु-स्रोत से निकलकर फैलती चली जाती हैं
प्रश्न 9. समांतर किरणपुंज किसे कहते हैं
उत्तर - इस किरणपुंज में प्रकाश की किरणे एक-दूसरे के समांतर होती हैं
बहुत अधिक दूरी पर स्थित प्रकाश-स्रोत (जैसे—सूर्य) से आते किरणपुंज को समांतर किरणपुंज माना जाता है।
प्रश्न 10. अपसारी किरणपुंज किसे कहते हैं ?
उत्तर - इस प्रकार के किरणपुंज में प्रकाश की किरणें एक बिंदु पर आकर मिलती हैं या मिलती हुई प्रतीत होती हैं।
अत:, ऐसे किरणपुंज में किरणों के बीच की दूरी घटती जाती है
प्रश्न 11. पारदर्शी, पारभासी और अपारदर्शी पदार्थ को परिभाषित करें ?
उत्तर -
पारदर्शी -वे पदार्थ जिनसे होकर प्रकाश आसानी से पार कर जाता है, पारदर्शी(transparent) पदार्थ कहलाते हैं।
जैसे काँच, पानी, हवा आदि पारदर्शी पदार्थ हैं।
पारभासी - वे पदार्थ जो उनपर पड़नेवाले प्रकाश के एक छोटे-से भाग को ही अपने में से होकर जाने देते हैं, पारभासी-(translucent) पदार्थ कहलाते हैं।
जैसे -घिसा हुआ काँच, तेल लगा कागज, बैलून का रबर, आँख की पलक, ट्रेसिंग पेपर (बटर पेपर), चर्म, रक्त, दूध, घना धुआँ, हलके बादल,कुहासा इत्यादि पारभासी पदार्थ हैं।
अपारदर्शी -
वे पदार्थ जो प्रकाश को अपने में से होकर नहीं जाने देते, अपारदर्शी (opaque) पदार्थ कहलाते हैं। लकड़ी, लोहा, पत्थर, अलकतरा, पेंट, मोटा गत्ता, धातु की प्लेट इत्यादि अपारदर्शी पदार्थ हैं।
प्रश्न 12. प्रकाश का परावर्तन किसे कहते हैं
प्रकाश के किसी वस्तु से टकराकर लौटने को प्रकाश का परावर्तन (reflection of light) कहते हैं।
समतल दर्पण प्रकाश का एक अच्छा परावर्तक है।
प्रश्न 13. परावर्तन के नियम क्या है ? इससे संबंधित विभिन्न पदों को परिभाषित करें ?
उत्तर - प्रकाश की किरण किसी सतह पर पड़कर जिन नियमों का पालन करते हुए उस सतह से परावर्तित होती है, उन नियमों को परावर्तन के नियम (laws of reflection) कहते है
1. आपतित किरण- किसी सतह पर पड़नेवाली किरण को आपतित किरण (incident ray) कहते हैं।
2. आपतन बिंदु- जिस बिंदु पर आपतित किरण सतह से टकराती है, उसे आपतन बिंदु (point of incidence) कहते हैं।
3. परावर्तित किरण- जिस माध्यम (जैसे-हवा) में चलकर आपतित किरण सतह पर आती है उसी माध्यम में लौट गई किरण को परावर्तित किरण (reflected ray) कहते हैं।
4. अभिलंव- किसी समतल सतह के किसी बिंदु पर खींचे हुए लंब को उस बिंदु पर अभिलंब (normal) कहते हैं।
5. आपतन कोण- आपतित किरण, आपतन बिंदु पर खींचे अभिलंब से जो कौन बनाती है उसे आपतन कोण कहते हैं
प्रश्न 14. प्रतिबिंब किसे कहते हैं ? यह कितने प्रकार का होता है ? उन्हें परिभाषित करें ?
उत्तर - किसी बिंदु-स्रोत से आती प्रकाश की किरणें दर्पण से परावर्तन के बाद जिस विंदु पर मिलती हैं या जिस बिंतु से आती हुई प्रतीत होती हैं, उसे उस विंदु-स्रोत का प्रतिबिंब कहते हैं।
प्रतिबिंब दो प्रकार के होते हैं
(i) वास्तविक प्रतिबिंब (real image)
(ii) आभासी या काल्पनिक प्रतिबिंब (virtual image)
1. वास्तविक प्रतिबिंब- किसी विदु-स्रोत से आती प्रकाश की किरणें दर्पण से परावर्तन के बाद जिस बिंदु पर वास्तव में मिलती हैं, उसे उस बिंदु-स्रोत का वास्तविक प्रतिबिंब कहते हैं।
अतः, वास्तविक प्रतिबिंब पर्दे पर प्राप्त किया जा सकता है। वास्तविक प्रतिबिंब वस्तु की अपेक्षा हमेशा उलटा होता है।
2. आभासी प्रतिबिंब- किसी बिंदु-स्रोत से आती प्रकाश की किरणें परावर्तन के बाद जिस बिंदु से आती हुई प्रतीत होती हैं, उसे उस बिंदु-स्रोत का आभासी प्रतिबिंब कहते हैं।
अत:, आभासी प्रतिबिंब को पर्दे पर नहीं प्राप्त किया जा सकता। आभासी प्रतिबिंब वस्तु की अपेक्षा हमेशा सीधा होता है।
प्रश्न 15. किस दर्पण में वस्तु की दूरी और प्रतिबिंब की दूरी बराबर होती है ?
Ans- समतल दर्पण में
वस्तु-दूरी = प्रतिबिंब-दूरी अर्थात, कोई वस्तु समतल दर्पण से जितनी आगे होती है, उसका प्रतिबिंब दर्पण से उतना ही पीछे बनता है।
प्रश्न 16. पार्श्व परिवर्तन किसे कहते हैं ?
Ans- जब हम अपने ही प्रतिबिंब को दर्पण के सामने देखते हैं तो उसमें परिवर्तन दिखाई देता है यदि हम अपना दाहिना हाथ उठाते हैं तो लगता है कि प्रतिबिंब का बायाँ हाथ उठ रहा है। दूसरे शब्दों में, वस्तु का दाहिना भाग समतल दर्पण में प्रतिबिंब का बायाँ भाग तथा वस्तु का बायाँ भाग प्रतिबिंब का दाहिना भाग दिखाई पड़ता है इसी को पार्श्व परिवर्तन (lateral inversion) कहते हैं।
प्रश्न 17. समतल दर्पण द्वारा बना बने प्रतिबिंब की विशेषताएं लिखें ?
Ans - समतल दर्पण में बने प्रतिबिंब की निम्नलिखित विशेषताएँ देखने को मिलती हैं।
1. प्रतिबिंब दर्पण के पीछे बनता है।
2. प्रतिबिंब का आकार वस्तु के आकार के बराबर होता है।
3. प्रतिबिंब वस्तु की अपेक्षा सीधा बनता है।
4. प्रतिबिंब पाश्विक रूप से उलटा होता है।
5. प्रतिबिंब आभासी होता है (अत:, हम इसे पर्दे पर नहीं प्राप्त कर सकते)।
6. प्रतिबिंब दर्पण से उतना ही पीछे बनता है जितना वस्तु दर्पण से आगे (अर्थात, सामने) रहता है।
प्रश्न 18. गोलीय दर्पण किसे कहते हैं ?
Ans- गोलीय दर्पण (spherical mirror) उस दर्पण को कहते हैं जिसकी परावर्तक सतह किसी खोखले गोले (hollow sphere) का एक भाग होती है।
गोलीय दर्पण प्रायः काँच के एक टुकड़े को (समतल दर्पण की तरह) कलई (silvered) कर बनाया जाता है जो एक खोखले गोले का भाग होता है।
प्रश्न 19. अवतल दर्पण किसे कहते हैं
Ans - कांच की गोलीय दर्पण की बाहरी सतह को कलई करने से अवतल दर्पण (concave mirror) बनता है
प्रश्न 20. उत्तल दर्पण किसे कहते हैं ?
Ans - कांच की गोलीय दर्पण के टुकड़े को भीतरी सतह कलई करने पर उत्तल दर्पण (convex mirror) बनता है
प्रश्न 21. किस दर्पण में प्रकाश का परावर्तन भीतरी सतह से होता है ?
Ans- अवतल दर्पण में प्रकाश का परावर्तन दर्पण की भीतरी सतह से होता है
प्रश्न 22. किस दर्पण में प्रकाश का परावर्तन बाहरी सतह से होता है ?
Ans - उत्तल दर्पण में प्रकाश का परावर्तन दर्पण की बाहरी सतह से होता है।
प्रश्न 23. गोलीय दर्पण से संबंधित विभिन्न पद को परिभाषित करें ?
Ans- गोलीय दर्पणों द्वारा प्रतिबिंबों के बनने की क्रिया को समझने के लिए निम्नलिखित पदों की जानकारी आवश्यक है
1. ध्रुव- गोलीय दर्पण के मध्यबिंदु को दर्पण का ध्रुव (pole) कहते हैं। बिंदु P दर्पण का ध्रुव है।
2. वक्रता-केंद्र - गोलीय दर्पण जिस गोले का भाग होता है, उस गोले के केंद्र को दर्पण का वक्रता-केंद्र (centre of curvature) कहते हैं। बिंदु C दर्पण का वक्रता-केंद्र है
3. वक्रता-त्रिज्या - गोलीय दर्पण जिस गोले का भाग होता है उसकी त्रिज्या को दर्पण की वक्रता-त्रिज्या (radius of curvature) कहते हैं। R, दर्पण की वक्रता-त्रिज्या है।
4. प्रधान या मुख्य अक्ष - गोलीय दर्पण के ध्रुव के से वक्रता-केंद्र को मिलानेवाली सरल रेखा को दर्पण का प्रधान या मुख्य अक्ष (principal axis) कहते हैं को मिलानेवाली सरल रेखा PC मुख्य (प्रधान) अक्ष है।
प्रश्न 24. गोलीय दर्पण का फोकस तथा फोकस-दूरी मैं संबंध लिखें ?
Ans - किसी अवतल दर्पण का फोकस उसके मुख्य अक्ष पर वह बिंदु है, जहाँ मुख्य अक्ष के समांतर आती किरणें दर्पण से परावर्तन के बाद मिलती हैं।
किसी उत्तल दर्पण का फोकस उसके मुख्य अक्ष पर वह बिंदु है जहाँ से मुख्य अक्ष के समांतर आती किरणें दर्पण से परावर्तेन के बाद आती हुई प्रतीत होती हैं।
प्रश्न 25. फोकस दूरी किसे कहते हैं ?
उत्तर - फोकस F से दर्पण के ध्रुव P की दूरी को दर्पण की फोकस-दूरी (focal length) कहते हैं
प्रश्न 26. गोलीय दर्पण की फोकस दूरी और उनकी वक्रता त्रिज्या में संबंध लिखें ?
उत्तर - गोलीय दर्पण की फोकस दूरी उसकी वक्रता त्रिज्या की आधी (half) होती है
f = R/2
R दर्पण की वक्रता त्रिज्या है
दर्पण चाहे अवतल हो या उत्तल यदि आपतन बिंदु ध्रुव से वस्तु दूर ना हो, तो फोकस दूरी दर्पण की वक्रता त्रिज्या की आधी होती है
प्रश्न 27. गोलीय दर्पण के लिए किरण आरेख की बनावट की व्याख्या को समझाएं ?
1. मुख्य अक्ष के समांतर आपतित किरण-
दर्पण के मुख्य अक्ष के समांतर (parallel) आनेवाली किरण दर्पण से परावर्तन के बाद
(a) दर्पण यदि अवतल हो, तो उसके फोकस F से होकर
जाती है
(b) दर्पण यदि उत्तल हो, तो उसके फोकस F से आती प्रतीत होती है
2. फोकस की दिशा में आपतित किरण -
जब कोई किरण दर्पण के फोकस F की दिशा में आपतित होती है तो वह परावर्तन के बाद दर्पण के मुख्य अक्ष के समांतर निकलती है
3. वक्रता-केंद्र की दिशा में आपतित किरण -
चूँकि वक्रता-त्रिज्या दर्पण पर स्थित किसी बिंदु पर अभिलंब होती है, इसलिए जो किरण दर्पण के वक्रता-केंद्र की दिशा में दर्पण पर पड़ती है वह दर्पण पर लंबवत होती है। अत:, परावर्तन के बाद वह किरण उसी पथ पर लौट जाती है
4. ध्रुव की दिशा में आपतित किरण-
चूँकि ध्रुव P पर प्रधान अक्ष दर्पण पर अभिलंब है, यदि कोई किरण दर्पण पर ध्रुव की दिशा में मुख्य अक्ष से i कोण बनाती हुई आपतित हो तो परावर्तन के नियम से परावर्तित किरण भी मुख्य अक्ष से i के बराबर कोण r बनाते हुए निकलेगी
प्रश्न 28. अवतल दर्पण के सामने विभिन्न दूरियों पर रखी वस्तु के प्रतिबिंब की स्थिति प्रकृति और उनका आकार की व्याख्या करें ?
Ans - 1. जब वस्तु अवतल दर्पण के फोकस और ध्रुव के बीच स्थित है तब प्रतिबिंब AB दर्पण के पीछे की ओर बनता है यह प्रतिबिंब काल्पनिक (virtual), सीधा (erect) और आवर्धित अर्थात वस्तु से बड़ा (magnified) होता है।
2. जब वस्तु अवतल दर्पण के फोकस पर स्थित है तो यह प्रतिबिंब वास्तविक, उलटा और बहुत ही आवर्धित अर्थात वस्तु से बहुत ही बड़ा होता है।
3. जब वस्तु अवतल दर्पण के वक्रता-केंद्र और फोकस के बीच स्थित है तब प्रतिबिंब AB वक्रता-केंद्र और अनंत के बीच (अर्थात, वक्रता-केंद्र के परे) बनता है यह प्रतिबिंब वास्तविक, उलटा और आवर्धित अर्थात वस्तु से बड़ा होता है।
4. जब वस्तु अवतल दर्पण के वक्रता-केंद्र पर स्थित है तब प्रतिबिंब AB वक्रता-केंद्र पर ही बनता है। यह प्रतिबिंब वास्तविक, उलटा और वस्तु के आकार (साइज) के बराबर होता है
5. जब वस्तु अनंत और अवतल दर्पण के वक्रता-केंद्र के बीच स्थित है तब प्रतिबिंब A'B' दर्पण के वक्रता-केंद्र C और फोकस F के बीच बनता है यह प्रतिबिंब वास्तविक, उलटा और बस्तु से छोटा (diminished) होता है।
उत्तर - 1. अवतल दर्पण में वस्तु का प्रतिबिंब सीधा बड़ा और आभासी होता है इसलिए ईसका उपयोग हजामती दाढ़ी बनाने के रूप में किया जाता है
2. टॉर्च, वाहनों के हेडलाइटों तथा सर्चलाइटों में अवतल दर्पण का उपयोग परावर्तकों के रूप में किया जाता है। इनमें प्रकाश के स्रोत (बल्ब) को अवतल दर्पण के फोकस पर रखा जाता है, जिससे परावर्तन के बाद प्रकाश का समांतर किरणपुंज प्राप्त होता है।
3. रोगियों के नाक, कान, गले, दाँत आदि की जाँच के लिए डॉक्टर अवतल दर्पण का उपयोग करते हैं, जो किसी प्रकाश-स्रोत (जैसे—बिजली के बल्ब) से आते प्रकाश को एक छोटी-सी जगह में केंद्रित कर देता है
4. सौर भट्ठियों (solar furnaces) में सूर्य से आती ऊष्मा-ऊर्जा (thermal radiation) को बड़े-बड़े अवतल दर्पणों द्वारा छोटी जगह पर केंद्रित किया जाता है और इससे प्राप्त ऊष्मा (heat) से कई प्रकार के उपयोग लिए जाते हैं।
प्रश्न 30. उत्तल दर्पण के उपयोग लिखें ?
उत्तर - स्कूटर, मोटरकार तथा बस इत्यादि में उत्तल दर्पण का उपयोग साइड मिरर और पीछे देखने के आईने के रूप में किया जाता है क्योंकि यह वस्तु का सीधा प्रतिबिम्ब बनाता है और इसका दृष्टि क्षेत्र बड़ा होता है
प्रश्न 31. दर्पण के लिए चिन्ह परिपाटी की व्याख्या करें ?
उत्तर - 1. दर्पण के मुख्य अक्ष को निर्देशांक XX' अक्ष माना जाता है
2. सभी दूरियां गोलीय दर्पण के ध्रुव से मापी जाती है इसलिए ध्रुव को मूल बिंदु कहा जाता है
3. आपतित प्रकाश की दिशा में मापी गई सभी दूरियां धनात्मक होती है तथा आपतित प्रकाश की विपरीत दिशा में मापी गई सभी दूरियां ऋणात्मक होती है
4. दर्पण के अक्ष XX' के लंबवत ऊपर मापी गई दूरियां धनात्मक होती है तथा इसके नीचे मापी गई दूरियां ॠणात्मक होती है
प्रश्न 32. अवतल दर्पण की वक्रता-त्रिज्या तथा फोकस दूरी क्या होती है ?
उत्तर - ॠणात्मक
प्रश्न 33. अवतल दर्पण की वक्रता त्रिज्या तथा फोकस दूरी क्या होती है ?
उत्तर - धनात्मक
प्रश्न 34. दर्पण सूत्र को परिभाषित करें ?
गोलीय दर्पण के लिए वस्तु दूरी u प्रतिबिंब दूरी v और फोकस दूरी f के बीच के संबंध को एक सूत्र से बताया जाता है जिसे दर्पण सूत्र (mirror formula) कहा जाता है
1/u+1/v=1/f
प्रश्न 35. आवर्धन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर प्रतिदिन की ऊंचाई और वस्तु की ऊंचाई के अनुपात को आवर्धन (magnification) कहा जाता है
m= प्रतिबिंब की ऊंचाई / वस्तु की ऊंचाई
m= h'/ h
प्रश्न 36. आवर्धन m के मान में ऋणात्मक चिन्ह का क्या अर्थ है ?
उत्तर - आवर्धन m के मान में ऋणात्मक चिह्न का अर्थ है कि प्रतिबिंब वस्तु के सापेक्ष उलटा बनता है, अर्थात प्रतिबिंब वास्तविक (real) है, और m का धनात्मक मान आभासी प्रतिबिंब इंगित करता है।
• प्रकाश (light) ऊर्जा (energy) का वह रूप (form) है जिसकी सहायता से हम वस्तुओं को देखते हैं।
• जिस वस्तु से प्रकाश निकलता है, उसे प्रकाश-स्रोत (light source) कहा जाता है।
• कुछ प्रकाश-स्रोत प्राकृतिक (natural) हैं, और कुछ मानव-निर्मित (man-made)।
• वे वस्तुएँ जो प्रकाश उत्सर्जित (emit) करती हैं प्रदीप्त (luminous) कहलाती हैं और जो प्रकाश उत्सर्जित नहीं करती अप्रदीप्त (nonluminous) कहलाती हैं।
• प्रकाश सरल रेखा में चलता प्रतीत होता है।
• एक सरल रेखा पर चलनेवाले प्रकाश को प्रकाश की किरण (ray of light) कहते हैं।
• प्रकाश की किरणों के समूह को प्रकाश का किरणपुंज (beam of light) कहते हैं।
• मुख्यतः किरणपुंज तीन प्रकार के होते हैं-अपसारी (diverging), समांतर (parallel) और अभिसारी (converging)।
• वे पदार्थ जिनसे होकर प्रकाश आसानी से पार कर जाता है, पारदर्शी पदार्थ (transparent material) कहलाते हैं।
• वे पदार्थ जो प्रकाश को अपने में से होकर जाने नहीं देते, अपारदर्शी पदार्थ (opaque material) कहलाते हैं।
• प्रकाश के किसी वस्तु से टकराकर लौटने को प्रकाश का परावर्तन (reflection of light) कहते हैं।
• समतल दर्पण (plane mirror) प्रकाश का एक अच्छा परावर्तक है।
• प्रकाश के परावर्तन के दो नियम हैं-
(i) आपतित किरण, परावर्तित किरण तथा आपतन बिंदु पर खींचा गया अभिलंब तीनों एक ही समतल में होते हैं।
(ii) आपतन कोण (i) परावर्तन कोण (r) के बराबर होता है, (अर्थात i=r)
• समतल दर्पण पर लंबवत (perpendicularly) पड़नेवाली प्रकाश की किरण परावर्तन के बाद उसी पथ पर वापस लौट जाती है।
• किसी बिंदु-स्रोत (point source) से आती हुई प्रकाश की किरणें दर्पण से परावर्तन के बाद जिस बिंदु पर मिलती हैं या जिस बिंदु से आती हुई प्रतीत होती हैं, उसे उस बिंदु-स्रोत का प्रतिबिंब (image) कहते हैं।
• प्रतिबिंब दो प्रकार के होते हैं-वास्तविक (real) और आभासी या काल्पनिक (virtual)।
• किसी बिंदु-स्रोत से आती किरणें परावर्तन के बाद जिस बिंदु पर वास्तव में मिलती हैं उसे उस बिंदु-स्रोत का वास्तविक प्रतिबिंब कहते हैं।
• वास्तविक प्रतिबिंब वस्तु की अपेक्षा हमेशा उलटा (inverted) होता है और पर्दे पर प्राप्त किया जा सकता है।
• किसी बिंदु-स्रोत से आती किरणें परावर्तन के बाद जिस बिंदु से आती हुई प्रतीत होती हैं, उसे उस बिंदु-स्रोत का आभासी प्रतिबिंब कहते हैं।
• आभासी प्रतिबिंब वस्तु की अपेक्षा हमेशा सीधा (erect) होता है और इसे पर्दे पर प्राप्त नहीं किया जा सकता।
• कोई वस्तु समतल दर्पण से जितनी आगे होती है, उसका प्रतिबिंब दर्पण से उतना ही पीछे बनता है अर्थात समतल दर्पण में, वस्तु-दूरी (object distance)= प्रतिबिंब-दूरी (image distance)
• गोलीय दर्पण (spherical mirror) उस दर्पण को कहते हैं जिसकी परावर्तक सतह किसी खोखले गोले का एक भाग होती है।
• गोलीय दर्पण के मध्यबिंदु को ध्रुव (pole) कहते हैं।
• गोलीय दर्पण जिस गोले का भाग होता है, उस गोले के केंद्र को दर्पण का वक्रता-केंद्र (centre of curvature) कहते हैं
• गोलीय दर्पण जिस गोले का भाग होता है उसकी त्रिज्या को दर्पण की वक्रता-त्रिज्या (radius of curvature) कहते हैं।
• गोलीय दर्पण में ध्रुव से वक्रता-केंद्र को मिलानेवाली सरल रेखा को दर्पण का मुख्य अक्ष (principal axis) कहते हैं।
• गोलीय दर्पण दो प्रकार के होते हैं-अवतल (concave) और उत्तल (convex)
• अवतल दर्पण द्वारा प्रकाश का परावर्तन उसकी भीतरी सतह (inner surface) से होता है, जबकि उत्तल दर्पण द्वारा उसकी बाहरी सतह (outer surface) से होता है।
• किसी अवतल दर्पण का फोकस (focus) उसके मुख्य अक्ष पर वह बिंदु है, जहाँ मुख्य अक्ष के समांतर आती किरणें दर्पण से परावर्तन के बाद मिलती हैं।
• किसी उत्तल दर्पण का फोकस उसके मुख्य अक्ष पर वह बिंदु है, जहाँ से मुख्य अक्ष के समांतर आती किरणें दर्पण से परावर्तन के बाद आती हुई प्रतीत होती हैं।
• गोलीय दर्पण के ध्रुव से उसके फोकस की दूरी को उस दर्पण की फोकस-दूरी (focal length) कहते हैं। इसे f से सूचित किया जाता है।
• गोलीय दर्पण की फोकस-दूरी f, उसकी वक्रता-त्रिज्या R की आधी (half) होती है। अर्थात, f=R/2
• गोलीय दर्पण के मुख्य अक्ष के समांतर (parallel) आनेवाली किरण दर्पण से परावर्तन के बाद
(i) दर्पण यदि अवतल हो, तो उसके फोकस से होकर जाती है और
(ii) दर्पण यदि उत्तल हो, तो उसके फोकस से आती प्रतीत होती है।
• जब कोई किरण गोलीय दर्पण के फोकस की दिशा में आपतित होती है तो वह परावर्तन के बाद दर्पण के मुख्य अक्ष के समांतर निकलती है।
• जो किरण गोलीय दर्पण के वक्रता-केंद्र की दिशा में दर्पण पर पड़ती है, वह परावर्तन के बाद उसी पथ पर लौट जाती है।
• अवतल दर्पण द्वारा वस्तु के वास्तविक और आभासी (काल्पनिक) दोनों प्रकार के प्रतिबिंब बनते हैं, जबकि उत्तल दर्पण द्वारा केवल आभासी प्रतिबिंब ही बनते हैं।
• निर्देशांक चिह्न परिपाटी के अनुसार
(i) अवतल दर्पण की वक्रता-त्रिज्या R और फोकस-दूरी । ऋणात्मक होती है,
(ii) उत्तल दर्पण की वक्रता-त्रिज्या R और फोकस-दूरी f धनात्मक होती है।
• गोलीय दर्पण के लिए वस्तु-दूरी u, प्रतिबिंब-दूरी , v और फोकस-दूरी f के बीच के संबंध को दर्पण सूत्र (mirror formula) से बताया जाता है, जो इस प्रकार है
1/v + 1/u = 1/f
• प्रतिबिंब की ऊँचाई और वस्तु की ऊँचाई के अनुपात को गोलीय दर्पण का आवर्धन (magnification) कहा जाता है। इसे m से सूचित करते हैं।
• आवर्धन m का ऋणात्मक मान बताता है कि प्रतिबिंब वस्तु के सापेक्ष उलटा बन रहा है, अर्थात प्रतिबिंब वास्तविक (real) है और m का धनात्मक मान आभासी (virtual) प्रतिबिंब इंगित करता है।
बहुत जल्द इस पोस्ट को पूरा कर दिया जाएगा....
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