8. कृषि और खेतिहर समाज
* 7000 ई० पू० यूरोप के यूनान देश में गेहूँ, जौ, बकरी, भेड़ और सुअर का साक्ष्य मिलने से स्पष्ट होता है कि वहाँ कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था कायम हो चुकी थी।
* नवपाषाण काल में ही लोगों ने कई जानवरों को पालना शुरू किया | वे जानवर कृषि कार्य में उनके बडे सहायक सिद्ध हुए।
* सुमेरी लोगों की खेतों में अधिशेष उत्पादन के लिए श्रेय दिया जा सकता है। उन्होंने खेतों को समुचित पानी मिलने कें लिए सिंचाई की व्यवस्था की। फसलों का आवर्तन शुरू किया।
* प्राचीन काल में रोम ने सुमेर की कृषि प्रणाली को अपनाया ।
* मध्यकाल को सामंतवाद के काल के नाम से भी जाना जाता है। सामंतवाद मूलतः एक ग्रामीण व्यवस्था थी। इसमें समाज दो भागों में, बाँटा था- मालिक एवं गुलाम ।
* भौगोलिक विभिन्नताओं, उत्पादन एवं प्रादेशिक आधार पर खेती के तरीके में परिवर्तन होता रहा।
* 1. जीवन निर्वाह खेती, (2) रोपण कृषि, (3) प्राच्य सघन निर्ताह-कृषि खेती, (4) भूमध्य सागरीय खेती, (5) व्यावसायिक फसल, (6) राजकीय कृषि, (7) सामूहिक खेती, (8) सहकारी खेती, (9) काटना एवं जलाना खेती झूम खेती |
* प्रारंभिक काल से ही ग्रामीण. अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित रही है।
* ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक मजबूत आधार कृषि आधारित उद्योग बना।
* बिहार एक कृषि प्रधान प्रांत है। इसकी पचहत्तर प्रतिशत कार्यकारी आबादी कृषि कार्य में संलग्न है।
* बिहार में ग्रामीण अर्थव्यवस्था में परिवर्तन देश की आजादी के उपरांत जमींदारी प्रथा के उन्मूलन के साथ शुरू हुआ।
* इंगलैंड के अठारहवीं सदीं के उत्तरार् तक माँवों में जमीन पर सबका अधिकार होता था ।
History कुछ प्रमुख बिंदु एवं समरणीय तथ्य
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