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9th history chapter 3 | फ्रांस की क्रांति


3. फ्रांस की क्रांति 

* फ्रांस की क्रांति विश्व इतिहास की युगांतकारी घटनाओं में से एक थी । यह क्रांति घटनाओं की लंबी श्रृंखला थी। 

* इसकी शुरुआत 5 मई, 1789 को इस्टेट्स जेनरल की बैठक बुलाये जाने के साथ हुई। इसके बाद कई घटनाएँ एक के बाद एक घटी। 

* 20 जून, 1789 को टेनिस कोर्ट में तृतीय इस्टेट की बैठक में राष्ट्रीय सभा का गठन हुआ | 

* 14 जुलाई, 1789 को बास्तिल के किले को ध्वस्त किया गया। 

* 30 सितम्बर, 1791 को राष्ट्रीय सभा के विघटन के बाद व्यवस्थापिका के हाथों में सत्ता आई | इसी काल में राजा को पदच्युत किया गया 

* 20 सितम्बर, 1792 को शासन की बागडोर कन्वेंशन के हाथों में आ गई । 

* 21 जनवरी, 1793 को लुई सोलहवाँ को गुलोटिन पर चढ़ा दिया गया । जैकोबिन दल के प्रभाव काल में आंतक के राज्य की स्थापना हुई । 

*इसके बाद डायरेक्टरी तथा नेपोलियन के शासन की क्रमशः स्थापना हुई । उपर्युक्त संपूर्ण घटनाक्रम ही फ्रांस की क्रांति के नाम से जानी जाती है। 

* क्रांति के पूर्व की अवस्था फ्रांस में पुरातन व्यवस्था के नाम से जानी जाती थी। 

* निरंकुश राजतंत्र, स्वतंत्रताओं से रहित राष्ट्र, विशेषाधिकार प्राप्त पादरी और कुलीन चर्ग, शोषित साधारण वर्ग तथा आर्थिक दीवालियापन की कगार पर खड़ा राष्ट्र फ्रांस की पुरातन व्यवस्था की पहचान था। 

* क्रांति फ्रांस के राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक जीवन की विसंगतियों को उपज था । निरंकुश शासन की कमजोरी, राजा का विलासी जीवन, निरंकुशता पर नियंत्रण का अभाव, असमान कानूनों का प्रचलन तथा स्वतंत्रताओं का अभाव इस क्रांति के राजनीतिक कारण थे। 

History कुछ प्रमुख बिंदु एवं समरणीय तथ्य

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