5. कार्य एवं ऊर्जा
* जब कोई बल किसी वस्तु में विस्थापन उत्पन्न करता है तो कार्य का होना समझा जाता है।
* कार्य एक अदिश राशि है। कार्य का व्यापक सूत्र W = FS
* कार्य का SI मात्रक जूल है। 1 जूल = 10^7 erg
* कार्य करने की दर को शक्ति (Power) कहते हैं। शक्ति अदिश राशि है।
शक्ति (P) = W/t
* शक्ति का SI मात्रक वाट होता है।
* 1 जूल प्रति सेकेण्ड कार्य करने की दर को वाट कहते हैं।
* कार्य करने की कुल क्षमता को ऊर्जा कहते हैं।
* ऊर्जा का SI मात्रक भी जूल होता है।
* बल के आरोपित होने से वस्तु में उत्पन्न विस्थापन के कारण उस वस्तु की ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा कहते हैं।
* किसी वस्तु की स्थिति एवं सुंरूपण के कारण उत्पन्न ऊर्जा को स्थितिज ऊर्जा कहते हैं।
* किसी वस्तु की गति के कारण गतिज ऊर्जा कहते हैं।
* किसी निकाय की ऊर्जा न तो उत्पन्न की जा सकती है और न ही इसका विनाश किया जा सकता है। ऊर्जा का एक रूप से दूसरे रूप में रूपान्तरण हो जाता है, लेकिन निकाय की कुल ऊर्जा संरक्षित रहती है। इसे ही ऊर्जा के संरक्षण का सिद्धांत कहते हैं।
* ऊर्जा का व्यापारिक मात्रक किलो वाट घंटा (kWh) होता है
1kWh =3.6×10^6 J
भौतिकी कुछ प्रमुख बिंदु एवं समरणीय तथ्य
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