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10th class physics chapter 4 | 10 क्लास भौतिक विज्ञान | विद्युत धारा | 10th class science chapter 4




प्रश्न 1. विद्युत धारा का क्या तात्पर्य होता है ?

उत्तर - विद्युत धारा से तात्पर्य होता है, तारों से होकर आवेशों का प्रवाह 

 प्रश्न 2. परमाणु की रचना किस मौलिक कण के द्वारा हुई है ?

उत्तर - परमाणु की रचना तीन मौलिक कण से हुई है, इलेक्ट्रॉन , प्रोटॉन , न्यूट्रॉन , इलेक्ट्रॉन ॠण आवेशित कण है,  प्रोटॉन धन आवेशित कण , तथा न्यूट्रॉन पर कोई आवेश नहीं होता है |

प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन परमाणु के केंद्रीय भाग में रहते हैं जिसे नाभिक कहते हैं

प्रश्न 3. नाभिक के निश्चित कक्षाओं में कौन घूमता है ?

उत्तर - नाभिक के निश्चित कक्षाओं में इलेक्ट्रॉन घूमता है

प्रश्न 4. परमाणु में किस की संख्या बराबर होती है ?

उत्तर - इलेक्ट्रॉनों तथा प्रोटाॕनों की

प्रश्न 5. परमाणु विद्युतत: क्या होता है ?

उत्तर - उदासीन

प्रश्न 6. परमाणु क्यों उदासीन होता है ?

उत्तर - परमाणु में सामान परिमाण में धन तथा ऋण आवेश होने के कारण परमाणु विद्युतत: उदासीन होते हैं

प्रश्न 7. किसी पदार्थ का धनावेशित तथा ऋणावेशित होने का क्या अर्थ है ?

उत्तर - किसी पदार्थ के धनावेशित होने का अर्थ है उसमें से कुछ इलेक्ट्रॉनों का बाहर निकलना तथा ऋणावेशित का अर्थ है कि उसके द्वारा कुछ इलेक्ट्रॉनों को ग्रहण कर लेना

प्रश्न 8. कोई पदार्थ अनावेशित तथा ऋणावेशित कब होता है ?

उत्तर - इलेक्ट्रॉनों को खोकर कोई पदार्थ धनावेशित हो जाता है और इलेक्ट्रॉनों को पाकर ऋणावेशित।

प्रश्न 9. आवेश क्या है ?

उत्तर - संरक्षित (conserved) रहता है, उसे न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट।

प्रश 10. चालक तथा विद्युतरोधी पदार्थों को परिभाषित करें ?

उत्तर - चालक -  ऐसे पदार्थ जिनसे होकर विद्युत आवेश उनके एक भाग से दूसरे भाग तक जाता है, चालक (conductor) कहे जाते हैं और 

विद्युतरोधी -  ऐसे पदार्थ जिनसे होकर विद्युत आवेश एक भाग से दूसरे भाग तक नहीं जाता है विद्युतरोधी (insulator) कहे जाते हैं।

प्रश्न 11. आवेश का चालन से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर - आवेश के एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने को आवेश का चालन (conduction) कहते हैं।

प्रश्न 12. विद्युत धारा को परिभाषित करें ?

उत्तर - किसी चालक पदार्थ में, किसी दिशा में दो बिंदुओं के बीच आवेश के व्यवस्थित (ordered) प्रवाह को विद्युत-धारा कहते हैं।

प्रश्न 13. धनावेश एवं ऋणावेश के एक-एक प्रमुख निष्कर्ष लिखें  ?

उत्तर - 1. कुछ पदार्थ इस प्रकार से आवेशित होते हैं, जैसा कि रेशम के कपड़े से रगड़ने पर काँच होता है। तब, हम कहते हैं कि ऐसे पदार्थ धनावेशित (positively charged) हो गए हैं धन आवेश को (+) चिह्न द्वारा प्रदर्शित करते हैं।

2. कुछ अन्य पदार्थ इस प्रकार से आवेशित होते हैं, जैसा कि ऊन से रगड़ने पर ऐबोनाइट हो जाता है। तब, हम कहते हैं कि ऐसे पदार्थ ऋणावेशित (negatively charged) हो गए हैं ऋण आवेश को (-) चिह्न द्वारा प्रदर्शित करते हैं।


प्रश्न 14. आवेश का S.I मात्रक क्या है ?

उत्तर - आवेश (charge) के परिमाण का SI मात्रक कूलॉम (coulomb) है, जिसे संकेताक्षर C से सूचित किया जाता है।

प्रश्न 15. विद्युत विभव को परिभाषित करें ?

उत्तर - किसी बिंदु पर विद्युत विभव कार्य का वह
परिमाण है जो प्रति एकांक (इकाई) आवेश को अनंत से
उस बिंदु तक लाने में किया जाता है। अनंत पर विद्युत विभव शून्य माना गया है। विद्युत विभव का SI मात्रक बोल्ट होता है

V = q / t

प्रश्न 16. विद्युत स्थितिज ऊर्जा को परिभाषित करें ?

उत्तर  - ऊर्जा-संरक्षण सिद्धांत से यह ऊर्जा आवेशों के निकाय (system) में स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाएगी। इसे हम विद्युत स्थितिज ऊर्जा (electric potential energy) कहते हैं।

प्रश्न 17. जूल प्रति कूलॉम को क्या कहते हैं ?

उत्तर - जूल प्रति कूलॉम को बोल्ट (volt) कहा जाता है, जिसे संकेताक्षर V द्वारा सूचित किया जाता है।
1V = 1J / C

प्रश्न 18. 1 बोल्ट को परिभाषित करें ?

उत्तर - यदि 1 कूलॉम (C) धन आवेश को अनंत से किसी बिंदु तक लाने में 1 जूल (J) कार्य सम्पन्न हो, तो उस बिंदु पर विद्युत विभव 1 वोल्ट (V) कहलाता है।
विद्युत विभव के मात्रक का नाम वोल्ट (volt) इटली
के वैज्ञानिक आलेसांद्रो वोल्टा (Alessandro Volta,
1745-1827) के नाम पर रखा गया।

प्रश्न 19. अनावेशित वस्तु का विभव क्या होता है ?

उत्तर- अनावेशित वस्तु का विभव शून्य होता है।

प्रश्न 20. धनावेशित और ऋणावेशित वस्तु का विभव क्या होता है ?

उत्तर - धनावेशित वस्तु का विभव धनात्मक (positive) होता है। उसी प्रकार, एक ऋणावेशित वस्तु का विभव ऋणात्मक (negative) होता है।

प्रश्न 21. विभवांतर को परिभाषित करे ?

उत्तर - किन्हीं दो बिंदुओं के बीच विभवांतर की माप उस
कार्य से होती है जो प्रति एकांक (इकाई) आवेश को एक
बिंदु से दूसरे विंदु तक ले जाने में किया जाता है।
विभवांतर का भी SI मात्रक वोल्ट (V) ही होता है। 

प्रश्न 22. विभवांतर कब 1 वोल्ट (V) कहलाता है ?

उत्तर - यदि 1 कूलॉम (C) धन आवेश को एक बिंदु से दूसरे विंदु तक ले जाने में 1 जूल (J) कार्य करना पड़े तो इन दोनों विंदुओं के बीच विभवांतर 1 वोल्ट (V) कहलाता है।

प्रश्न 23. धन आवेश तथा ऋण आवेश किस विभव से किस और गतिशील होता है ?

उत्तर - धन आवेश उच्च विभव से निम्न विभव की ओर गतिशील होगा 
इसके विपरीत, एक ऋण आवेश निम्न विभव से उच्च विभव की ओर गतिशील होगा

प्रश्न 24. सेल एवं बैटरी से आप क्या समझते हैं ? व्याख्या के साथ समझाइए ?

उत्तर - किसी चालक के दोनों सिरों के बीच विभवांतर बनाए रखने की एक सरल विधि यह है। 
सेल या बैटरी एक ऐसी युक्ति (device) है, जो अपने अंदर हो रहे रासायनिक अभिक्रियाओं (reactions) द्वारा सेल के दोनों इलेक्ट्रोडों (electrodes) के बीच विभवांतर बनाए रखती है।
इटली के वैज्ञानिक आलेसांद्रो वोल्टा (Alessandro Volta) ने सर्वप्रथम 1796 में एक ऐसे सरल स्रोत का आविष्कार किया जिससे विद्युत-धारा लगातार मिल सके। अतः, उनके नाम पर इसका नाम वोल्टीय सेल रखा गया।
आजकल हम टॉर्च, ट्रांजिस्टर आदि में जिन शुष्क सेलों
(dry cells) का उपयोग करते हैं !
सेलों की समूहित व्यवस्था को ही बैटरी कहा जाता है

प्रश्न 25. विद्युत परिपथ किसे कहते हैं ?

उत्तर - जिस पथ से होकर विद्युत धारा का प्रवाह होता है उसे विद्युत परिपथ कहते हैं

धातुओं में परंपरागत विद्युत-धारा की दिशा, अर्थात धन आवेश के प्रवाह की दिशा वास्तविक आवेश वाहकों, अर्थात ऋणावेशित इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह की दिशा के विपरीत होती है।

प्रश्न 26. परंपरागत धारा किसे कहते हैं ?

उत्तर - विद्युत धारा की दिशा धान आवेश के प्रवाह की दिशा मानी जाती है इसे परंपरागत धारा की दिशा भी कहा जाता है

प्रश्न 27. विद्युत-धारा की प्रबलता से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर - किसी चालक के किसी अनुप्रस्थ-काट (cross section) को पार करनेवाली विद्युत-बारा की प्रबलता उस अनुप्रस्थ-काट से होकर प्रति एकांक (इकाई) समय में प्रवाहित आवेश का परिमाण है।

प्रश्न 28. किसी विद्युत धारा कि प्रबलता कब 1 ऐम्पियर कही जाती है ?

उत्तर - किसी चालक के अनुप्रस्थ-काट से यदि एक सेकंड (s) में एक कूलॉम (C) आवेश प्रवाहित होता है, तो उस काट से पार करनेवाली विद्युत-धारा की प्रबलता एक ऐम्पियर (A) कही जाती है

प्रश्न 29. ऐमीटर किसे कहते हैं ?

उत्तर - जिस यंत्र द्वारा किसी विद्युत-परिपथ की धारा मापी जाती है, उसे ऐमीटर (ammeter) कहा जाता है।
एमिटर को श्रेणीक्रम संयोजन में जोड़ा जाता है

प्रश्न 30. बोल्ट मीटर किसे कहते हैं ?

उत्तर - जिस यंत्र द्वारा किसी विद्युत परिपथ के किन्ही दो बिंदुओं के बीच के विभवांतर को मापा जाता है उसे वोल्ट मीटर कहा जाता है बोल्ट मीटर को समांतर क्रम संयोजन में जोड़ा जाता है

प्रश्न 31. ओम का नियम लिखें ?

उत्तर - 1826 में जर्मन वैज्ञानिक जॉर्ज साइमन ओम (George Simon Ohm) ने किसी चालक के सिरों पर लगाए विभवांतर तथा उसमें प्रवाहित होनेवाली विद्युत-धारा का संबंध एक नियम के द्वारा व्यक्त किया। इस नियम को उन्हीं के नाम पर ओम का नियम (Ohm's law) कहा जाता है। इसके अनुसार,

यदि किसी चालक के ताप में परिवर्तन न हो, तो उसमें
प्रवाहित विद्युत-बारा उसके सिरों के बीच आरोपित
विभवांतर के समानुपाती (proportional) होती है।

I समानुपाती V
I = V/R

जहाँ, R नियतांक (अचर ताप पर) है जिसे चालक का
प्रतिरोध (resistance) कहते हैं।

प्रश्न 32. परिपथ में धारा का मान किस पर निर्भर करता है ?
उत्तर - किसी पदार्थ का वह गुण जो उससे होकर धारा के
प्रवाह का विरोध करता है, उस पदार्थ का विद्युत प्रतिरोध
या केवल प्रतिरोध (resistance) कहलाता है।

किसी चालक का प्रतिरोध R उसके सिरों के बीच विभवांतर और उसमें प्रवाहित धारा I का अनुपात है।

R = V / I

प्रश्न 33. प्रतिरोध का S.I मात्रक क्या होता है ?

उत्तर - प्रतिरोध का S.I मात्रक ओम होता है

प्रश्न 34. किसी चालक का प्रतिरोध कब 1 ओम कहा जाता है ?

उत्तर - यदि किसी चालक के सिरों पर 1 वोल्ट (V) का विभवांतर लगाने से चालक में 1 ऐम्पियर (A) की धारा प्रवाहित हो, तो चालक का प्रतिरोध 1 ओम कहा जाता है।

प्रश्न 35. चालक का प्रतिरोध कब अधिक होता है ?

उत्तर - निश्चित विभवांतर पर किसी चालक से कम धारा प्रवाहित होती है तो चालक का प्रतिरोध अधिक होता है। 

प्रश्न 36. चालक का प्रतिरोध कब कम होता है ?

उत्तर - यदि चालक से अधिक धारा प्रवाहित होती है, तो
चालक का प्रतिरोध कम होता है।

प्रश्न 37. चालक किसे कहा जाता है ?

उत्तर - बहुत कम प्रतिरोध वाले पदार्थों को जिनमें से आवेश आसानी से प्रवाहित होता है चालक (conductor) कहा जाता है, जैसे–चाँदी, ताँबा आदि।

प्रश्न 38. प्रतिरोधक किसे कहा जाता है ?

उत्तर  - उच्च प्रतिरोध वाले पदार्थों को प्रतिरोधक (resistor) कहा जाता है।

प्रश्न 39. विद्युतरोधी किसे कहते हैं ?

उत्तर - बहुत ही अधिक प्रतिरोध वाले पदार्थों को जिनसे आवेश प्रवाहित नहीं हो पाता, विद्युतरोधी (insulator) कहते हैं। रबर (rubber), प्लैस्टिक, ऐबोनाइट, लकड़ी इत्यादि विद्युतरोधी पदार्थ हैं।

प्रश्न 40. प्रतिरोध और प्रतिरोधक में क्या संबंध है ?

उत्तर - प्रतिरोधक (resistor) एक युक्ति (device) है और प्रतिरोध (resistance) उसका एक गुण (property) है।

प्रश्न 41. किसी चालक तार का प्रतिरोध किन-किन बातों पर निर्भर करता है ?

उत्तर  - 1. तार की लंबाई पर-किसी तार का प्रतिरोध R उसकी लंबाई l के समानुपाती होता है। 

अर्थात( R समानुपाती I)
अतः, तार की लंबाई जितनी अधिक होगी उसका प्रतिरोध
उतना ही अधिक होगा।

2. तार की मोटाई पर-किसी तार का प्रतिरोध R उसके
अनुप्रस्थ-काट के क्षेत्रफल A के व्युत्क्रमानुपाती (inversely proportional) होता है। 

R समानुपाती 1 / A
अतः, तार जितना ही मोटा होगा उसका प्रतिरोध उतना ही
कम होगा, तथा तार जितना ही पतला होगा उसका प्रतिरोध उतना ही अधिक होगा।

3. चालक के पदार्थ पर-यदि विभिन्न पदार्थों के तार
समान लंबाई और समान मोटाई के हों, तो उनके प्रतिरोध
भिन्न-भिन्न होंगे।

4. चालक के ताप पर-ताप बढ़ने से चालक का प्रतिरोध
बढ़ता है।

प्रश्न 42. प्रतिरोधकता किसे कहते हैं ? इसका मात्रक लिखिए ?

उत्तर - जहाँ, P (रो, rho) दिए गए ताप पर तार के पदार्थ के लिए नियतांक (स्थिरांक) है। इसे चालक तार के पदार्थ की प्रतिरोधकता (resistivity) कहते हैं।
प्रतिरोधकता का SI मात्रक ओम मीटर होता है

प्रश्न 43. धातु और मिश्रधातु की प्रतिरोधकता क्या होती है ? 

उत्तर - धातु और मिश्रधातु की प्रतिरोधकता बहुत कम होती है

प्रश्न 44. विद्युतरोधी पदार्थों की प्रतिरोधकता का मान क्या होता है ?

उत्तर - विद्युतरोधी पदार्थों की प्रतिरोधकता का मान अधिक होता है

प्रश्न 45. श्रेणीक्रम समूहन से आप क्या समझते हैं ? इसको समझा कर लिखें ?

उत्तर -1. सभी प्रतिरोधकों में एक ही धारा प्रवाहित होती है, परंतु उनके सिरों के बीच विभवांतर उनके प्रतिरोधों के अनुसार अलग-अलग होता है।

2. प्रतिरोधकों का समतुल्य प्रतिरोध सभी प्रतिरोधकों के
अलग-अलग प्रतिरोधों के योग के बराबर होता है।

3. समतुल्य प्रतिरोध का मान प्रत्येक प्रतिरोधक के प्रतिरोध के मान से अधिक होता है।

4. किसी एक प्रतिरोधक को परिपथ से हटा दिए जाने पर
बचे हुए प्रतिरोधकों से प्रवाहित होनेवाली धारा शून्य हो
जाएगी।

प्रश्न 46. पावक्रम या समांतरक्रम समूहन से आप क्या समझते हैं ? इसको समझा कर लिखें ?

उत्तर  - 1. सभी प्रतिरोधकों के सिरों के बीच एक ही विभवांतर होता है, परंतु उनके प्रतिरोधों के मान के अनुसार उनमें है भिन्न-भिन्न धारा प्रवाहित होती है।

2. प्रतिरोधकों के समतुल्य प्रतिरोध का व्युत्क्रम सभी
प्रतिरोधकों के अलग-अलग प्रतिरोधों के व्युत्क्रम के योग
के बराबर होता है।

3. समतुल्य प्रतिरोध का मान प्रत्येक प्रतिरोधक के प्रतिरोध के मान से कम होता है।

4. किसी एक प्रतिरोधक को परिपथ से हटा दिए जाने पर
भी बचे हुए अन्य प्रतिरोधकों से धारा प्रवाहित होती
रहेगी।

प्रश्न 47. विद्युत-धारा का ऊष्मीय प्रभाव से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर - यह साधारण अनुभव की बात है कि जब किसी चालक से विद्युत-धारा प्रवाहित की जाती है तब वह चालक गर्म हो जाता है, अर्थात विद्युत ऊर्जा का ऊष्मा में रूपांतरण होता है। इसे ही विद्युत-धारा का ऊष्मीय प्रभाव (heating effect of electric current) कहा जाता है।


* प्रश्न और उत्तर - किसी चालक में प्रवाहित विद्युत-धारा द्वारा उत्सर्जित ऊष्मा का परिमाण उसके द्वारा चालक के प्रतिरोध के विरुद्ध किए गए कुल कार्य के बराबर होता है।

* कार्य, आंतरिक ऊर्जा या ऊष्मा का SI मात्रक जूल
(J) है। ऊष्मा का cgs मात्रक कैलोरी (cal) है, जहाँ
1 cal = 4.186J

प्रश्न 48. जुल के तीन उष्मीय नियम को लिखें ? विद्युत-धारा से उत्पन्न ऊष्मा का परिमाण से संबंधित नियम ?

उत्तर - निम्नलिखित तीन नियम प्राप्त होते हैं।

1. किसी निश्चित समय। में किसी निश्चित प्रतिरोध R वाले चालक में उत्पन्न हुई ऊष्मा का परिमाण U उसमें प्रवाहित होनेवाली विद्युत-धारा I के वर्ग के समानुपाती (directly proportional) होता है, अर्थात
U समानुपाती L²

2. किसी निश्चित प्रबलता की विद्युत-धारा । द्वारा निश्चित समय में उत्पन्न ऊष्मा का परिमाण, चालक के प्रतिरोध के समानुपाती होता है, अर्थात U समानुपाती R

3. किसी दिए गए चालक में एक ही प्रबलता की धारा
भिन्न-भिन्न समय तक प्रवाहित करने पर उत्पन्न
ऊष्मा का परिमाण, धारा प्रवाह के समय । के
समानुपाती होता है, अर्थात U समानुपाती t

प्रश्न 49. जूल के उस में नियम को परिभाषित करें ?

उत्तर  - 1841 में ब्रिटिश वैज्ञानिक जूल (Joule) ने प्रायोगिक अध्ययन के आधार पर चालकों में विद्युत-धारा के कारण उत्पन्न ऊष्मा के संबंध में उपर्युक्त तीन नियम दिए थे, इसलिए इन नियमों को जूल के ऊष्मीय नियम कहते हैं।

(यदि एक ही विभवांतर को दो प्रतिरोधकों पर आरोपित किया जाए, तो कम प्रतिरोधवाले प्रतिरोधक में अधिक ऊष्मा उत्पन्न होगी।)

प्रश्न 50. विद्युत-शक्ति से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर - किसी विद्युत परिपथ में विद्युत ऊर्जा के व्यय की दर को उस परिपथ की विद्युत-शक्ति (electric power) कहते हैं। अतः,
विद्युत ऊर्जा =विद्युत-शक्ति/समय

प्रश्न 51. किसी विद्युत-परिपथ में किसी निश्चित समय मे व्यय की हुई विद्युत ऊर्जा ज्ञात करने के लिए क्या किया जाता है ?

उत्तर - किसी विद्युत-परिपथ में किसी निश्चित समय में में
व्यय हुई विद्युत ऊर्जा W ज्ञात करने के लिए विद्युत-शक्ति P को समय t से गुणा कर देते हैं। अर्थात,  W=Pt

प्रश्न 52. विद्युत शक्ति कब एक वाट कही जाती है ?

उत्तर - विद्युत-शक्ति का मात्रक यदि किसी परिपथ में 1 जूल प्रति सेकंड की दर से कार्य किया जा रहा हो, तो उस परिपथ की विद्युत-शक्ति 1 वाट (watt) कहलाती है। इसे संकेताक्षर W से सूचित किया जाता है

प्रश्न 53. 1 यूनिट विद्युत ऊर्जा को परिभाषित करें ?

उत्तर- यदि विद्युत-परिपथ में 1 किलोवाट (kw), अर्थात 1000 वाट (W) का कोई उपस्कर (उपकरण, appliance), जैसे हीटर लगाया जाए और इसे एक घंटे तक जलाया जाए तो हम कहते हैं कि परिपथ में 1 किलोवाट घंटा (kilowatt hour) विद्युत ऊर्जा का उपभोग हो रहा है। 1 किलोवाट घंटा (kwh) को 1 यूनिट विद्युत ऊर्जा भी कहा जाता है।

अतः, 1kWh = 3.6 x 106 J.

नोट:-मकानों में बिजली के मीटरों से बिजली के उपभोग
का पठन बोर्ड ऑफ ट्रेड यूनिट (Board of Trade
unit), जिसे संक्षेप में BOT यूनिट या केवल यूनिट लिखते हैं 
1 यूनिट = 3.6 x 106 J.

प्रश्न 54. विद्युत-धारा के ऊष्मीय प्रभाव के उपयोग को समझा कर व्याख्या के साथ लिखें ?

उत्तर - विद्युत-धारा के ऊष्मीय प्रभाव का हमारे दैनिक जीवन में बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान है। घरेलू उपकरणों, जैसे-बिजली का चूल्हा (हीटर), विद्युत इस्तरी (आयरन), रूम हीटर, टोस्टर, निमज्जन तापक (immersion heater), सोल्डरिंग रॉड इत्यादि में विद्युत-धारा के ऊष्मीय प्रभाव का ही उपयोग होता है।

प्रश्न 55. तापन अवयव किसे कहा जाता है ?

उत्तर - इन युक्तियों या उपस्करों (appliances) जैसे-बिजली का चूल्हा (हीटर), विद्युत इस्तरी (आयरन), रूम हीटर, टोस्टर, निमज्जन तापक (immersion heater), सोल्डरिंग रॉड इत्यादि के जिस भाग में
विद्युत-धारा प्रवाहित करने पर ऊष्मा उत्पन्न होती है, उसे
तापन अवयव (heating element) कहा जाता है।

प्रश्न 56. तापन अवयव कैसे पदार्थ से बने होने चाहिए ? 

उत्तर - तापन अवयव ऐसे पदार्थ के बने होने चाहिए जिनकी

1. प्रतिरोधकता (resistivity) बहुत अधिक हो, ताकि
इसके साधारण लंबाई एवं मोटाई वाले तार का प्रतिरोध अधिक हो और इनमें कम धारा प्रवाहित होने पर भी अधिक ऊष्मा उत्पन्न हो सके, और

2. गलनांक अत्यधिक उच्च हो, ताकि इनमें प्रबल धारा
(heavy current) प्रवाहित होने पर उत्पन्न अत्यधिक
ऊष्मा से तापन अवयव पिघले नहीं। 

प्रश्न 57. नाइक्रोम क्या है ?

उत्तर - अधिकांश तापन अवयवों में निकेल (60%), क्रोमियम (12%), मैंगनीज (2%) तथा लोहा (26%) के मिश्रधातु (alloy) जिसे नाइक्रोम (nichrome) कहते हैं, इसकी प्रतिरोधकता बहुत अधिक होती है और साथ ही इसका गलनांक भी अत्यधिक उच्च होता है।

प्रश्न 58. विद्युत बल्व से आप क्या समझते हैं ? नामांकित चित्र द्वारा समझाएं ?

उत्तर 58. विद्युत बल्ब में टंग्स्टन के पतले तार की
एक छोटी ऐंठी हुई कुंडली होती है जिसे तंतु या फिलामेंट
कहते हैं। यह तंतु मोटे आधारी तारों द्वारा धातु के दो स्पर्शक बटनों या स्टडों (contact studs) से जुड़ा होता है। तंतु एक काँच-बल्ब में बंद रहता है। बल्ब के अंदर निम्न दाब पर नाइट्रोजन और आर्गन जैसे निष्क्रिय गैसों का मिश्रण प्रायः भरा रहता है।
यदि फिलामेंट से हवा-माध्यम में धारा प्रवाहित कराई जाए
तो यह हवा के ऑक्सीजन से ऑक्सीकृत होकर भंगुर (brittle) हो जाएगा और टूट जाएगा। इसलिए, फिलामेंट जिस काँच-बल्ब के भीतर व्यवस्थित रहता है, उसकी हवा निकालकर निष्क्रिय गैस (inert gas) भर दी जाती है। गैसों को निम्न दाब पर भरा जाता है ताकि संवहन (convection) द्वारा ऊष्मा की हानि कम हो। विकिरण (radiation) द्वारा ऊष्मा की हानि को न्यूनतम करने के लिए तंतु का पृष्ठ-क्षेत्रफल (surfa cearea) कम-से-कम होना चाहिए। इसीलिए, तंतु को कुंडलित आकार दिया जाता है

प्रश्न 59. विद्युत बल्ब में टंग्स्टन का फिलामेंट क्यों बनाया जाता है ?

उत्तर - टंग्स्टन का फिलामेंट इसलिए बनाया जाता है कि इसका गलनांक अत्यधिक उच्च (लगभग 3400°C) होता है। अतः, यह बिना गले 2700°C का श्वेत-तप्त ताप (white-hot temperature) प्राप्त कर सकता है। चूँकि टंग्स्टन की प्रतिरोधकता बहुत कम होती है, इसलिए पतला और लंबा तंतु लेना पड़ता है ताकि प्रतिरोध अधिक हो और ऊष्मा अधिक उत्पन्न हो।

प्रश्न 60. सुरक्षा फ्यूज से आप क्या समझते हैं ? इसकी व्याख्या करें ? सुरक्षा फ्यूज का उपयोग लिखें ?

उत्तर - बिजली के उपस्करों तथा मकानों में बिजली की धारा ले जाने के लिए जो परिपथ बनाया जाता है उसमें
काँच की नली या चीनी मिट्टी या एक तरह के प्लैस्टिक से
ढंके उपकरण होते हैं जिन्हें फ्यूज (fuse) कहा जाता है। इसमें जस्ता या लेड (सीसा) और टिन की मिश्रधातु का तार लगा होता है। इसकी प्रतिरोधकता अधिक और गलनांक कम होता है। अतः, जब परिपथ में अचानक धारा की प्रबलता आवश्यकता से अधिक बढ़ जाती है तब धारा से उत्पन्न अत्यधिक ऊष्मा फ्यूज के तार को पिघला देती है और परिपथ टूट जाता है। इससे परिपथ में लगे पंखे, बल्ब, फ्रिज, टेलीविजन, ट्रांजिस्टर, मोटर आदि उपकरण जलने से बच जाते हैं।

प्रश्न 61. फ्यूज तार का अनुमतांक से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर - विद्युत-धारा की प्रबलता के जिस मान पर पहुँचते ही फ्यूज गल जाता है (जिसे साधारण भाषा में हम फ्यूज का उड़ जाना कहते हैं), उसे फ्यूज या फ्यूज तार का अनुमतांक कहते हैं। 

प्रश्न 62. 5A के फ्यूज का क्या अर्थ है ?

उत्तर - 5A के फ्यूज का अर्थ यह है कि धारा की प्रबलता 5A से बढ़ते ही फ्यूज तार गल जाएगा।

प्रश्न 63. किसी-किसी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को ठंढा रखने के लिए छोटे-छोटे पंखे क्यों लगाए जाते हैं ?

उत्तर - जब भी किसी चालक से विद्युत-धारा प्रवाहित होती है, कुछ-न-कुछ ऊष्मा उत्पन्न होती है। यदि हम इस ऊष्मा का उपयोग नहीं करते तो यह ऊर्जा की बर्बादी है। कभी-कभी किसी विद्युत उपस्कर (appliance) में इतनी ऊष्मा उत्पन्न होती है कि इससे वह उपस्कर बर्बाद हो सकता है। इस प्रकार से उत्पन्न ऊष्मा से उपस्कर को हानि न पहुँचे इसके लिए उस उपस्कर में ठंढक पैदा करने या उस हानिकारक ऊष्मा के बाहर निकल जाने के इंतजाम किए जाते हैं। उदाहरण के लिए, TV सेटों के कैबिनेट में हवा के बहने के लिए जाली बनी होती है। किसी-किसी उपकरण, जैसे कम्प्यूटरों में उनके अंदर के पुर्जी को ठंढा रखने के लिए छोटे-छोटे पंखे लगे रहते हैं।

* आवेश के व्यवस्थित प्रवाह को विद्युत-धारा कहते हैं।

* एकांक (इकाई) धनावेश को अनंत से किसी बिंदु तक लाने में किए गए कार्य को उस बिंदु पर विद्युत विभव कहते हैं। विभव का SI मात्रक बोल्ट (V) है। 
[1 V= 1 J/C.]

* दो बिंदुओं के बीच विभवांतर इनके बीच निम्न विभव से उच्च विभव तक एकांक (इकाई) धनावेश को ले जाने में किया गया कार्य है। इसका भी SI मात्रक बोल्ट (V) ही होता है।

* किसी चालक से प्रवाहित धारा की प्रबलता उस चालक के अनुप्रस्थ-काट से होकर एकांक (इकाई) समय में प्रवाहित आवेश का परिमाण है। विद्युत-धारा का SI मात्रक ऐम्पियर (A) है।

* ऐमीटर से परिपथ की विद्युत-धारा मापी जाती है। यह परिपथ में श्रेणीक्रम (series) में जोड़ा जाता है

* वोल्टमीटर से परिपथ के किन्हीं दो बिंदुओं के बीच उत्पन्न विभवांतर को मापते हैं। यह उस भाग के समांतरक्रम (parallel) में जोड़ा जाता है।

* यदि किसी चालक तार में विभवांतर V के कारण विद्युत-धारा I प्रवाहित हो, तो V और I के अनुपात V/I को उस तार का प्रतिरोध R कहा जाता है। अर्थात, R = V/I. प्रतिरोध का SI मात्रक ओम (2) है। 
[12 = 1 VIA.]

* यदि किसी चालक के ताप में परिवर्तन न हो, तो उसमें
प्रवाहित विद्युत-धारा उसके सिरों के बीच आरोपित विभवांतर के समानुपाती होती है, अर्थात I & v. इसे ओम का नियम (Ohm's law) कहते हैं।

* बहुत कम प्रतिरोधवाले पदार्थों को जिनमें से आवेश आसानी से प्रवाहित होता है, चालक (conductor) कहा जाता है। 

* उच्च प्रतिरोधवाले पदार्थों को प्रतिरोधक (resistor) कहा जाता है। 

* बहुत ही अधिक प्रतिरोधवाले पदार्थों को जिनसे आवेश प्रवाहित नहीं हो पाता, विद्युतरोधी (insulator) कहते हैं।

* श्रेणीक्रम में जुड़े प्रतिरोधकों का समतुल्य प्रतिरोध उन
प्रतिरोधकों के अलग-अलग प्रतिरोधों के योग के बराबर होता है। अर्थात, R, = R1 + R2 + R3 + ......

* पावक्रम या समांतरक्रम में जुड़े प्रतिरोधकों के समतुल्य
प्रतिरोध का व्युत्क्रम उन सभी प्रतिरोधकों के अलग-अलग प्रतिरोधों के व्यत्क्रम के योग के बराबर होता है।

* किसी चालक में प्रवाहित विद्युत-धारा द्वारा उत्पन्न ऊष्मा का परिमाण उसके द्वारा चालक के प्रतिरोध के विरुद्ध किए गए कुल कार्य के बराबर होता है।

* किसी चालक में I समय में उसके प्रतिरोध R को पार करने में विद्युत-धारा I द्वारा किया गया कार्य उसमें आंतरिक ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है। संचित आंतरिक ऊर्जा U = I&Rt.

* किसी विद्युत-परिपथ में विद्युत ऊर्जा के व्यय की दर को उस परिपथ की विद्युत-शक्ति कहते हैं। विद्युत-शक्ति का SI मात्रक वाट (watt) है, जिसे संकेताक्षर W
से सूचित किया जाता है। [1w = 1 VA.]

* विद्युत ताप युक्तियों में उच्च प्रतिरोध के तार का उपयोग होता है जिससे उनमें विद्युत-धारा प्रवाहित होने पर अधिक परिमाण में ऊष्मा उत्पन्न हो सके।

* मकानों आदि में विद्युत ऊर्जा (बिजली) की खपत की माप के लिए जूल (J) एक छोटा मात्रक है। इसके लिए साधारणतः किलोवाट घंटा (kilowatt hour) का उपयोग किया जाता है। इसे संक्षेप में kWh से सूचित करते हैं। 
[1 kWh=3.6x10 J.]

* बिजली के उपकरणों की सुरक्षा के लिए फ्यूज (fuse) का उपयोग किया जाता है। फ्यूज के तार ऐसे पदार्थ से बने होते हैं जिनकी प्रतिरोधकता अधिक होती है और गलनांक कम।

* विद्युत ताप युक्तियों तथा उपस्करों में नाइक्रोम (मिश्रधातु) के तार की कुंडली (जिसे तापक एलीमेंट कहते है) का व्यवहार होता है, क्योंकि नाइक्रोम की प्रतिरोधकता और गलनांक दोनों उच्च होते हैं।

* विद्युत बल्ब में टंग्स्टन धातु के तंतु या फिलामेंट का व्यवहार के होता है, क्योंकि टंग्स्टन की प्रतिरोधकता कम होती है और गलनांक अत्यधिक उच्च होता है।











 बहुत जल्द इस पोस्ट को पूरा कर दिया जाएगा....

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